वो मजनूँ-सा मिट जाए ऐसा नहीं है
कि मुझ में मगर अक्से – लैला नहीं हैं
गुज़र ही गई उम्र सुहबत में लेकिन
मेरे दिल में क्या है, वो समझा नहीं है
मेरे वासिते वो जहाँ छोड़ देगा
ये कहने को है, ऐसा होता नहीं है
है इक़रार दिल में और इन्कार लब पर
वो कहता है फिर भी कि झूठा नहीं है
उसे प्यारी लगती है सारी ही दुनिया
मैं सोचूँ वो क्यूँ सिर्फ़ मेरा नहीं है
मैं इक टक उसे ताकती जा रही हूँ
मगर उस ने मुड़ कर भी देखा नहीं है
वो ख़ुशियों में शामिल है मेरी पर उस को
मेरे ग़म से कुछ लेना - देना नहीं है।
फ़रेब उसने अपनों से खाये हैं इसने
उसे मुझ पे भी अब भरोसा नहीं है
हो उस पार “कमसिन” कि इस पार लग जा
मुहब्बत का दरिया तमाशा नहीं है
कृष्णा कुमारी
ReplyDeleteकृष्णा कुमारी जी
नमस्कार !
आपको अंतर्जाल पर पा'कर बहुत अच्छा लगा ।
प्रस्तुत ग़ज़ल अच्छी लगी ।
प्रेम का बंटवारा सच में सहन नहीं होता -
उसे प्यारी लगती है सारी ही दुनिया
मैं सोचूं वो क्यूं सिर्फ़ मेरा नहीं है
… लेकिन चित्रों का चयन बिल्कुल अच्छा नहीं लगा ।
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
रेखांकित करने के लिए बहुत कुछ है इस रचना में - एक में शब्द में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहूँगा "लाजवाब"
ReplyDeleteग़ज़ल अच्छी लगी| धन्यवाद|
ReplyDeleteहेल्लो . साक्षात्कार.कॉम ने अपना नया पत्रकारिता नेटवर्क शुरू कर दिया है . आप प्रेसवार्ता.कॉम नेटवर्क से जुड़कर आप समाचार , लेख , कहानिया , कविता , फोटो , विडियो और अपने ब्लॉग को जन जन तक भेज सकते है . इसके लिए आपको प्रेसवार्ता.कॉम पर जाकर अपना एक प्रोफाइल बनाना होगा . प्रेसवार्ता.कॉम से जुड़ने का लिंक www.pressvarta.com है .
ReplyDeleteसुशील गंगवार
www.pressvarta.com
www.99facebook.com
bahut hi badiya..
ReplyDeletePlease visit my blog..
Lyrics Mantra
Ghost Matter
Download Free Music
Music Bol
" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच