Sunday, October 10, 2010

ग़ज़ल संग तेरे है रहबर देख

ग़ज़ल
संग तेरे है रहबर देख
अब तो जग का मंजर देख
नभ पर ताला है तो क्या
पिंजरे में ही उड़ कर देख
शोलों पर सोती है ओस
आकर तो सड़कों पर देख
बन बैठे हैं शालिग्राम
चिकने-चुपड़े पत्थर देख
तू भी ध्रुव सा चमकेगा
तम को चीर निरंतर देख
ला छोड़ेंगी साहिल पर
मौजों से तो कह कर देख
पाप न कर भगवान से डर
बच्चों को मत कुढ़ कर देख
लिख तो डाले ग्रंथ हज़ार
ढाई आखर पढ़कर देख
ख़ुद से बाहर आ “कमसिन”
पीर पराई सह कर देख



• कृष्णा कुमारी “कमसिन”
“चिरउत्सव” सी – 368, मोदी हॉस्टल लाईन
तलवंड़ी, कोटा - 324005 (राजस्थान)
फोनः-0744-2405500,
मोबाइलः 9829549947

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