Sunday, October 17, 2010

दिल लगाने की बात करते हो।




दिल लगाने की बात करते हो।
किस ज़माने की बात करते हो।।
लोग पानी को जब तरसते हैं।
मय पिलाने की बात करते हो।।
ऑसूओं से तो भर दिया दामन।
मुस्कुराने की बात करते हो।।
उम्र भर आग पर चला कर भी।
आज़माने की बात करते हो।।
सूलियाँ और सलीबें हँसती हैं।
सच बताने की बात करते हो।।
क्यूँ घड़ी भर की रोशनी के लिये।
घर जलाने की बात करते हो।।
याद में आ के बारहा “कमसिन”।
भूल जाने की बात करते हो।।

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